आइए अब हम इस विषय को विस्तार से और चरणबद्ध तरीके से हिंदी में समझते हैं:
🔍 पृष्ठभूमि (Background):
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में एक आतंकवादी हमला हुआ, जिसमें भारतीय सुरक्षा बलों को हानि पहुँची। इसके बाद भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम से एक सैन्य अभियान शुरू किया, जिसका उद्देश्य आतंकवादी नेटवर्क को खत्म करना था।
इस अभियान के जवाब में पाकिस्तान ने भारत की पश्चिमी सीमा पर आक्रामक हमले किए। इन्हीं हमलों का विश्लेषण Anmol Kaur Bawa द्वारा प्रस्तुत (livelaw) Explainer में किया गया है, जिसमें बताया गया है कि पाकिस्तान की यह कार्रवाई कैसे अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून (International Humanitarian Law – IHL) का उल्लंघन करती है।
⚖️ अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून (IHL) क्या है?
IHL एक ऐसा कानून है जो युद्ध या सशस्त्र संघर्ष की स्थिति में लागू होता है। इसका उद्देश्य है:
- नागरिकों की रक्षा करना,
- सैन्य कार्रवाई को सीमित करना,
- बेमतलब या अत्यधिक विनाश को रोकना।
IHL के मुख्य सिद्धांत:
- भेद का सिद्धांत (Principle of Distinction):
सैन्य और गैर-सैन्य (सिविलियन) ठिकानों में स्पष्ट अंतर करना अनिवार्य है। - अनुपात का सिद्धांत (Principle of Proportionality):
हमला ऐसा होना चाहिए कि उसमें होने वाला नागरिक नुकसान सैन्य लाभ की तुलना में अधिक न हो। - आवश्यकता और मानवता (Military Necessity & Humanity):
सिर्फ वही हमला करना चाहिए जो सैन्य दृष्टिकोण से आवश्यक हो, और अनावश्यक पीड़ा न पहुँचाए।
💣 पाकिस्तान की कार्रवाई में IHL का उल्लंघन कैसे हुआ?
1. अंधाधुंध हमले (Indiscriminate Attacks):
- पाकिस्तान द्वारा सीमा के पास किए गए हमले बिना यह देखे गए कि वहां नागरिक हैं या सैन्य कर्मी।
- ऐसे हमले “अंधाधुंध (indiscriminate)” माने जाते हैं — जो Geneva Conventions के अनुसार अवैध हैं।
- उदाहरण: यदि एक गांव या रिहायशी क्षेत्र में बिना चेतावनी बमबारी होती है, तो वह अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है।
2. अनुपातहीन बल प्रयोग (Disproportionate Use of Force):
- यदि किसी आतंकवादी कार्रवाई के बदले इतनी बड़ी सैन्य प्रतिक्रिया दी जाए, जिसमें नागरिक संपत्ति, जीवन और बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुँचे, तो वह अनुपात का उल्लंघन कहलाता है।
- यानी अगर नुकसान ज्यादा है और सैन्य लाभ कम, तो यह गंभीर अपराध माना जाता है।
📚 कानूनी प्रावधान: Geneva Conventions & Protocol I
🔹 Geneva Conventions (1949):
- यह चार अंतरराष्ट्रीय संधियाँ हैं जो युद्ध के समय मानवीय व्यवहार तय करती हैं।
🔹 Additional Protocol I (1977):
- यह प्रोटोकॉल विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय सशस्त्र संघर्षों पर लागू होता है।
- इसमें बताया गया है कि युद्ध के दौरान नागरिकों और नागरिक प्रतिष्ठानों को पूरी तरह संरक्षित रखा जाए।
- इसका उल्लंघन “War Crime” (युद्ध अपराध) की श्रेणी में आता है।
🌍 प्रथागत अंतरराष्ट्रीय कानून (Customary International Law):
यह ऐसे नियम हैं जो समय के साथ विकसित हुए हैं और अधिकांश देशों द्वारा स्वीकार किए जाते हैं, भले ही वे संधियों पर हस्ताक्षर न किए हों।
उदाहरण:
- नागरिकों को निशाना न बनाना
- रासायनिक या जैविक हथियारों का प्रयोग न करना
पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई कई मामलों में इन नियमों का उल्लंघन करती है।
🧾 निष्कर्ष:
- पाकिस्तान की सैन्य प्रतिक्रिया अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों के खिलाफ है।
- नागरिकों को निशाना बनाना या उनके क्षेत्र में हमला करना युद्ध अपराध माना जाता है।
- संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाएँ इस तरह की कार्रवाइयों की निंदा करती हैं।
- भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर इस मुद्दे को उठा कर पाकिस्तान की जवाबदेही तय करने का अधिकार है।
📝 अगर आप और जानना चाहें:
- भारत की अंतरराष्ट्रीय नीति क्या हो सकती है?
- संयुक्त राष्ट्र इसमें क्या भूमिका निभा सकता है?
- यदि पाकिस्तान बार-बार IHL का उल्लंघन करता है तो क्या सज़ा हो सकती है?